दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच/एनडीआर, आर.के.पुरम की एक टीम को मिली बड़ी सफलता

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उमेश बर्थवाल, एसीपी एनडीआर की देखरेख में और  इंस्पेक्टर वीर सिंह के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच/एनडीआर, आर.के.पुर

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच/एनडीआर, आर.के.पुरम की एक टीम को मिली बड़ी सफलता
जहाँ उमेश बर्थवाल, एसीपी एनडीआर की देखरेख में और  इंस्पेक्टर वीर सिंह के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच/एनडीआर, आर.के.पुरम की  टीम ने दो इनामी अपराधियों को तमिलनाडु से गिरफ्तार किया,
गिरफ्तार आरोपी का नाम मोहम्मद अब्दुल वाहिद, उम्र-47 वर्ष और नासिर एन उर्फ मम्मू, उम्र 44 वर्ष हैं, दोनों चेन्नई, तमिलनाडु के निवासी हैं। दोनों ही एनडीपीएस के एक मामले में वांछित था ,
इन दोनों पर पीएस नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में एफआईआर संख्या 16/24 यू/एस 9ए/25ए/29 एनडीपीएस अधिनियम, के तहत 14.02.2024 को मुकदमा दर्ज किया गया था। अपराधी के शातिराना दिमाग को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी पर  75 - 75 हजार रुपये का नकद इनाम घोषित किया था।

गिरफ्तार आरोपी  मो. अब्दुल वाहिद तमिलनाडु का एक शिक्षित व्यक्ति है और मल्टीमीडिया वेब डिजाइनिंग में डिप्लोमा किया हुआ है। वह शादीशुदा है और उसकी दो बेटियां हैं। उसकी पत्नी भी शिक्षिका के रूप में काम कर रही है।

वही  नासिर एन उर्फ मामू निवासी तमिलनाडु 10 वीं पास है। वह शादीशुदा है और उसका एक बेटा और एक बेटी है, दोनों कॉलेज में पढ़ रहे हैं।

14.02.2024 को दर्ज एफआईआर संख्या 16/24, धारा 9ए/25ए/29 एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामले के तथ्यों को संक्षेप में बताया गया और जांच के दौरान, आरोपी व्यक्तियों मोहम्मद अतीक निवासी चेन्नई उम्र-44 वर्ष और दौलत खान निवासी चेन्नई उम्र-43 वर्ष को गिरफ्तार किया गया जहाँ उनके कब्जे से व्यावसायिक मात्रा में pseudoephedrine ड्रग्स बरामद किये गए थे ।

जांच में आरोपी नसीर एन @ मामू, चेन्नई और आरोपी अब्दुल वाहिद, चेन्नई की संलिप्तता भी पाई गई। आरोपी एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स सिंडिकेट चला रहे  थे   और दिल्ली से चेन्नई और फिर मलेशिया, सिंगापुर आदि को pseudoephedrine पाउडर की आपूर्ति कर रहे थे  । जाँच में पता चला की ये लोग पिछले कई सालों से  इस तरह की गतिविधियों में लिप्त थे।
जहाँ मोहम्मद अतीक और दौलत खान के कब्जे से 18 किलोग्राम स्यूडोफेड्राइन (जिसकी कीमत लगभग 36 करोड़ रुपये है  ) की व्यावसायिक मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई।

जांच के दौरान सह-आरोपी नासिर और अब्दुल वाहिद की तलाशी ली गई, लेकिन वे नहीं मिले और अदालत ने दोनों आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस मामले में, दिल्ली पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी पर 75,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

सूचना और संचालन

एनडीआर क्राइम ब्रांच आर.के.पुरम, नई दिल्ली ने दिल्ली में इन हताश ड्रग सिंडिकेट द्वारा पैर जमाने की कोशिश को रोकने के लिए अपने निरंतर प्रयास में बड़ी संख्या में संदिग्धों और समर्थकों पर नजर रखी है। पहले गिरफ्तार किए गए अपराधियों से गहन पूछताछ ने अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट की पूरी प्रोफाइलिंग तैयार करने के चल रहे प्रयासों को पूरक बनाया।

जहाँ अब्दुल वाहिद और नासिर एन का नाम एचसी सुक्रम पाल और संजय यादव के संज्ञान में आया, उन्होंने इस सिंडिकेट पर तकनीकी रूप से काम किया और मैन्युअल निगरानी भी की।

आरोपियों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे थे और इस संबंध में स्रोत विकसित किए गए थे। दोनों आरोपी बहुत ही चतुर दिमाग के थे और पुलिस की रणनीति से वाकिफ थे  .  इसलिए लगातार अपने ठिकाने बदलते रहते थे।

वही जमीन पर केंद्रित प्रयासों से तीन राज्यों के पांच शहरों में 'ट्रेस-ट्रैक-मॉनीटर' क्षमताओं को तैनात करने वाली टीम को तब सफलता मिली जब एचसी सुक्रम पाल और संजय को इस मामले के वांछित और इनामी सह-आरोपी के चेन्नई, तमिलनाडु में आंदोलन के बारे में एक विशिष्ट गुप्त इनपुट प्राप्त हुआ।

जिसके बाद  सूचना को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा किया गया और तुरंत इंस्पेक्टर वीर सिंह के नेतृत्व में एनडीआर क्राइम ब्रांच की एक टीम जिसमें एएसआई दीप चंद, एचसी सुक्रम पाल, संजय, मनीष, मनोज, विनोद, संदीप कुमार और सीटी सुमित कुमार शामिल थे, रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए 23-7-24 को रवाना किया गया।

छापा मारने वाली पार्टी चेन्नई पहुंची और स्थानीय पुलिस की सहायता प्राप्त की। इसके बाद टीम स्थानीय कर्मचारियों के साथ संदिग्ध स्थान पर पहुंची और टीम ने एक रणनीतिक जाल बिछाया। जहाँ काफी देर तक निगरानी रखने के बाद आरोपी अब्दुल वाहिद को पकड़ लिया गया।

उससे लगातार पूछताछ करने पर अब्दुल वाहिद ने अपनी संलिप्तता का खुलासा किया। इसके बाद सह-आरोपी नासिर एन उर्फ मामू को भी एक घनी मुस्लिम बस्ती से गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपियों को 27-7-24 को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि मलेशिया में रहने वाला जगफ्फर नामक एक व्यक्ति इस सिंडिकेट को चलाने वाला मुख्य व्यक्ति है। वह समूह के सदस्यों को एक कीपैड फोन उपलब्ध कराता था, जिसमें केवल इनकमिंग कॉल का विकल्प सक्रिय होता था।

दौलत खान और अतीक की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने दिए गए मोबाइल के साथ-साथ सिम कार्ड भी नष्ट कर दिया और खुद को विभिन्न राज्यों में छिपा लिया।
वही मास्टर माइंड और अन्य की तलाश के लिए आगे की जांच जारी है। और कहते हैं न की अपराधी चाहे किना भी शातिर और चालक क्यों न हो एक न एक दिन पुलिस के हत्थे जरूर चढ़ता है जैसे की मोहम्मद अब्दुल और नासिर गिरफ्तार हो चूका है और बांकी भी आज न कल जरूर पुलिस के गिरफ्त में होगा
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