बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे,

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योगी आदित्यनाथ ने कहा क्या था बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, जिस पर बबाल मचा है 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गत दिनों दिए गए एक वक्तव्य, ने यूपी ही नहीं पुरे देश में सियासी बहस छेड़ दिया है कुछ लोग उनके बयान को हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के लिए घातक, सम्पर्दायिक और समाज में द्वेष फ़ैलाने वाला बता रहे है तो कुछ लोग इसे एकता का प्रतीक मान रहे हैं। 

आईये सबसे पहले जानते हैं की योगी आदित्यनाथ ने कहा क्या था जिस पर बबाल मचा है 

दरअसल योगी जी एक एक सभा को सम्बोधि करते हुए कहा था की ‘बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे’ 

इसमें एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे’ तक तो ठीक है देश की एकता अखंडता के लिए जरुरी है लेकिन कुछ लोगों ने इस लाइन को छोड़ दिया और ‘बंटेंगे तो कटेंगे को मुद्दा बना लिया तो स्वाभाविक है इस पर सियासी घमासान छिड़ गया। ये लोग अपने-अपने दृष्टिकोण से इसके मतलब निकाल  रहे हैं। 

योगी आदित्यनाथ ने सोचा भी नहीं होगा की उनके इस बयान से जातीयवादी चेतना, दलित विचारक, क्षेत्रवाद की अस्मिता एवं अलग अलग पहचान के नाम पर छोटी-छोटी मुद्दों को उभारकर समाज एवं राष्ट्र को बुरी तरह विभाजित करने वालों को भी उनके वक्तव्य में संकीर्णता एवं सांप्रदायिकता नजर आएगी ।

दरअसल भारत में आजादी से पहले अंग्रेजों द्वारा एक ऐसी व्यवस्था बना दी गयी जिसके बल पर पश्चमी देश आज भी हम पर राज कर रहे हैं और वह व्यवस्था है फुट डालो राज करो। 

जी हाँ यह अंग्रेजों की बड़ी कूटनीति थी जो आज भी हमारे देश पर अप्रत्यक्ष रूप से उनके मनसूबे को पूरा करने में मदद कर रही है और हमारे देश को अंदर से खोखला कर रहा है  . 

क्या यह सत्य नहीं कि सत्ता में रहते हुए जो कांग्रेस कभी जातिवाद समाजवादी वामपंथ और जिहादी गठजोड़ का दिखावे के लिए विरोध करती थी  वह अचानक उन्ही की भाषा बोल रहे हैं, जिनकी दृष्टि में भारत कभी एक राष्ट्र न होकर, राज्यों का संघ मात्र है, जिनकी दृष्टि में देश की संस्कृति, अस्मिता एवं राष्ट्रीयता भिन्न-भिन्न है, जिनकी दृष्टि में हमास, हिजबुल्ला जैसों का समर्थन पंथनिरपेक्षता है, पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार पर मुंह खोलने से डरते हों 

क्या यह सत्य नहीं कि देश-विदेश में भारत विरोधियों का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो जाति-पंथ-भाषा-लिंग-क्षेत्र-मजहब आदि के नाम पर चलने वाले विमर्श को प्रगतिशीलता बताता है और राष्ट्रवाद भारतीय संस्कृति की छवि को धूमिल करने की ताक में बैठा रहता है? हमें समझना होगा की आज भी भारतीय समाज आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से घिरा है जिनके निशाने पर भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता एवं सनातन संस्कृति है?

दोस्तों हमें समझना होगा कि  देश को सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक एकता के सूत्र में पिरोए रखने के लिए जातपात से ऊपर उठ कर काम करने की आवश्यकता है? 

ये विदेशी हाथों की कठपुतलियां जो हमें जाती और धर्म क्षेत्र में बांटना चाहते हैं उनके बहकाबे में आने से पहले हमें ये समझने की जरुरत है की गुलामी से पहले भी हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता विभाजनकारी प्रवृत्तियां और विभेदकारी कुरीतियां हीं  थी जिस कारण  विदेशी आक्रांताओं एवं साम्राज्यवादी शक्तियों ने फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण करते हुए हमें गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा और अंततः अखंड भारत को विभाजित करने में भी सफल रहे? वही लोग फिर से रूप और मुद्दे बदल कर आज फिर से उन्ही पश्चमी देशों के गुप्त उदेश्य की पूर्ति करने के लिए फिरसे जातिवाद के मुद्दे को हवा देने में लगे हैं। 

योगी आदित्यनाथ के वक्तव्य को राजनीतिक पूर्वाग्रहों से विश्लेषित करने के स्थान पर अतीत के निर्णायक युद्धों में मिली जय-पराजय एवं भारत-विभाजन के कारणों-परिणामों को समझना होगा। इतिहास साक्षी है कि कई बार हम विदेशी आक्रांताओं की वीरता नहीं, कुटिलता एवं धूर्तता के कारण हारे। हमने अद्भुत शौर्य एवं पराक्रम दिखाया, किंतु अपनों के ही विश्वासघात के चलते पराजित हुए।

हालाँकि हमारे नए पीढ़ी के बच्चे नहीं जानते है लेकिन क्या यह  सत्य नहीं है की भारत-भूमि के विभाजन की विभीषिका विश्व-इतिहास की सबसे भयावह त्रासदियों में से एक है, परंतु घोर आश्चर्य है कि इसके मूल कारणों एवं भयावह परिणामों आदि को इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में दर्ज करने, पढ़ाए जाने एवं उन पर खुली चर्चा के स्थान पर कथित ‘गंगा जमुनी तहजीब’ के तराने गाए जाते रहे। भैया गंगा भी हमारा यमुना भी हमारा , हम तो शादियों से शरणार्थियों को शरण देने वाले तहजीब के बाद षड्यंत्र के शिकार हुए हैं। 

हमें नए बच्चों को यह बताने की जरुरत है की 1947 में अखंड भारत के विभाजन के कारण लगभग डेढ़ से दो करोड़ लोगों को विस्थापन का शिकार होना पड़ा, 12 से 15 लाख लोगों को मजहबी हिंसा एवं कट्टरता के कारण प्राण गंवाने पड़े, सहस्रों माताओं-बहनों को अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए अग्नि-चिताओं में  नदियों-कुओं में समाकर अपनी -लीला समाप्त करनी पड़ी। 

आज बांग्लादेश की स्थिति देख लिए क्या चल रहा है वहां। एक बहुत बड़े वाले पत्रकार को मैं सुन रहा था वो कह रहे थे की हमें सबका सम्मान करना चाहिए मिल जुल कर रहना चाहिए क्या होगा अगर मुस्लमान ही ज्यादा हो जायेंगे तो। भाई ख़वीश जी वही होगा जो बांग्ला देश में हो रहा है ,    

शायद यही सब जानकर योगी आदित्यनाथ ने हमें याद दिलाया की एक रहेंगे तो नेक रहेंगे और बाटेंगे तो काटेंगे इसमें क्या गलत कहा। बचपन से हमें पढ़ाया जाता है की एक लकड़ी को हर कोई आसानी से तोड़ देता है लेकिन अगर एकसाथ 4 - 5 लकड़ी हो तो कोई नहीं तोड़ पता। 

उम्मीद है आपको यह विश्लेषण सही लगा होगा 

 

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