जितिया व्रत की कथा और मनाने की विधि तथा महत्व

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हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत किया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat 2024) और जिउ

हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत किया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat 2024) और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अधिक उत्साह के साथ 3 दिनों तक मनाया जाता है। शुभ अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। वहीं, इसका समापन व्रत का पारण करने के बाद होता है। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जितिया व्रत क्यों किया जाता है और नहाय खाय और पारण की सही डेट के बारे में।  

इसलिए किया जाता है जितिया व्रत (Jitiya Vrat Significance)

जितिया व्रत विवाहित महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण संतान की सदैव रक्षा करते हैं। इसके अलावा संतान से जुड़ी सभी तरह की समस्या दूर होती है। 

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